मैं उन लोगों में शामिल था, जिन्होंने कमलेश्वर जी के अंतिम दर्शन किए। एक वजह और थी, जिसके बारे में कभी बड़ा पत्रकार बनने के बाद लिखूंगा। लगभग पांच घंटे उनके घर के बाहर खड़ा रह कर जो कुछ देखा, उस पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है, लेकिन कुछ बातों का जिक्र जरूर करना चाहता है। एक लड़की, करीब 20-22 साल की। हाथ में एक न्यूज चैनल का माइक। चेहरे पर दुख के भाव, लेकिन उसे कमलेश्वर जी के जाने का दुख नहीं था, बल्कि उसके दुख का कारण यह था कि वह यह नहीं तय कर पा रही थी कि बाइट किससे ले, किससे पूछे कि कमलेश्वर जी के निधन के बाद वह कैसा फ़ील कर रहे हैं? उस जैसे कई थे, हाथ में माइक लिए...। इनमें से आधिकांश कमलेश्वर जी को भी पूरी तरह नहीं जानते थे, इतना जानते थे कि वह बड़े पत्रकार थे।
... जारी
Wednesday, May 23, 2007
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